रो-रो कर कविताएँ लिखता रहा तेरी याद में
तुमसे मिलने की करता रहा फरियाद मैं
बैचेन धडकनें धड़कती रहीं
गर्म साँसें तड़पती रहीं
व्याकुल नजरें टिकी रही तेरी राह में
उन नजरों का क्या करें
जो चली गई हमें निहार कर
खुमारी मिटती नहीं तेरी नजर की
मिलते रहे हम तुम से ख़्वाब में
जमाने की क्या कहें
हम खुद ही रोते रहे तेरे इन्तजार में
हर साँस में लिखा है तेरा नाम
हर आवाज पर लिखा है तेरा पैगाम
कुदरत ने किया है ऐसा काम
कि हर आहट में छिपी है तेरी पदचाप
हमें तुम्हारा इन्तजार रहेगा
कब आओगे आप .
शुक्रवार, 16 जुलाई 2010
बुधवार, 2 जून 2010
सिर्फ तुम्हारा इन्तजार
मेरे दिल की गहराईयों को
कभी छू ना सकोगे तुम
अगर छू लिया
दूर मुझसे कभी जा न सकोगे तुम
जब तक तुम पहचान न लोगे मुझे
खुद को छुपाता रहूँगा तुझसे
मेरे अंतस में प्रवेश की चाबी होगी
यह कसौटी तुम्हारी
मुझे जानो-पहचानो
और उतर जाओ
मेरे अंतस की गहराईयों में
सिर्फ तुम्ही आ सकते हो यहाँ
कोई और ना समझ पाएगा मुझे इस जहां में
सिवाए तुम्हारे
कोई और ना उतर पाएगा इन गहराईओं में
मुझे सदा तुम्हारा इन्तजार रहेगा .
कभी छू ना सकोगे तुम
अगर छू लिया
दूर मुझसे कभी जा न सकोगे तुम
जब तक तुम पहचान न लोगे मुझे
खुद को छुपाता रहूँगा तुझसे
मेरे अंतस में प्रवेश की चाबी होगी
यह कसौटी तुम्हारी
मुझे जानो-पहचानो
और उतर जाओ
मेरे अंतस की गहराईयों में
सिर्फ तुम्ही आ सकते हो यहाँ
कोई और ना समझ पाएगा मुझे इस जहां में
सिवाए तुम्हारे
कोई और ना उतर पाएगा इन गहराईओं में
मुझे सदा तुम्हारा इन्तजार रहेगा .
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