मंगलवार, 20 नवंबर 2018

आज मोहब्बत पर

आज मोहब्बत पर तिजारत भारी हो गई
कैसे उकेरें प्रेमी युगल अपने नाम
ऊद्यान में खड़े पेड़ों के तनों पर
पुराने भवनों और इमारतों की दीवारों पर
सब जगह पाबंदी हो गई।

वो नदी के मुहाने और
समुद्र के साहिल पुकार रहे हैं
प्रेमी युगलों को

पुकार रही हैं सुनसान भवनों की दीवारें
कोई प्रेमी युगल आए
कुरेद कर उनके दिलों को
अपने प्यार का पैगाम लिख जाए
नीरस पड़ा है जीवन
इसमें कोई प्रेम रस भर जाए।

फूलों की भी है ख्वाहिश कुछ ऐसी
जमींजद होने से पहले
कोई प्रेमी अर्पित कर मुझे प्रेयसी को
मेरा जीवन धन्य कर जाए।

कोयल बुला रही मोहब्बत करने वालों को
तुम बैठो पेङ के नीचे
मैं तुम्हारे लिए गीत गाऊंगी
प्रेमी चले दूर इन बहारों से
आज कोयल तन्हा हो गई।