दोष आपका नहीं
आपकी याद का है
जो बार-बार मेरे जहन में आती है
और मेरा ध्यान खिंच ले जाती है
पढ़ते -पढ़ते न जाने कब
शब्द छूट जाते है
जब थोड़ा सम्भलता हूँ
ख़ुद को सिर्फ़ तेरी यादो में पाता हूँ
में जानता हूँ यह
अच्छा नहीं मेरे लिए
पर क्या करूँ
मेरा बस भी तो नहीं चलता
मुझे यह भी नहीं लगता
की ये सब बेकार है
पता नहीं क्या कारण है
कि हरपल मेरे सिने में
आपकी याद है .
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