शनिवार, 22 अगस्त 2009

तेरी याद में

हरपल आती है तेरी याद
फरियाद करते है खुदा से
किसी को न आए ऐसी जालिम याद

करवटों में गुजर जाती है,
ख्वाबों में कट जाती है रात
हर ख्वाब में तुमसे ही
होती है मुलाकात

जहन में सागर उमड़ रहा है,
तेरी यादों का
सिलसिला चलता रहता है,
कसमों और वादों का
सो नहीं पाते हैं
यों ही गुजर जाती हैं रात

सुबह तक सलवटें पड़ जाती हैं-
बिस्तर,दिल और आखों तले.
जब कभी गाता हैं कोई पपीहा
तेरी याद में जल उठते हैं दिलजले

तेरा खिलखिलाकर हँसना
शर्माकर मुस्कुराना
और खोजना नाराज होने का बहाना
एक से बढकर एक कातिलाना हमले हैं
तेरी याद में ऐसे फिसले हैं कि
आज तक नहीं संभले हैं.

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